दिनचर्या का पालन करने से मिलेंगे ढेर सारे लाभ, नही रहेगा शरीर मे दोषों का प्रकोप, शरीर की होगी शुद्धि

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दिनचर्या… हम इसके बारे में बहुत कुछ सुनते और पढ़ते हैं। स्टीव जॉब्स, अर्नेस्ट हेमिंग्वे, बेंजामिन फ्रैंकलिन जैसे सफल लोग आदर्श दिनचर्या के उदाहरण हैं, जो हमें प्रेरित भी करते हैं। अगर हमें तनावमुक्त, स्वस्थ जीवन जीना है तो दिनचर्या में कुछ बदलाव करने होंगे। कोल इंडिया की अनुषंगी कंपनी एनसीएल कृष्णशिला परियोजना के वरीय प्रबंधक कमलेश कुमार ने शरीर को फ़िट और हेल्दी रखने के लिए कुछ टिप्स बताए है।

आयुर्वेद में दिनचर्या, रात्रिचर्या, और ऋतुचर्या का विधान है। इनका उद्देश्य, स्वस्थ लोगों की सेहत को बचाना और बीमार लोगों का इलाज करना है। इन चर्याओं का नियमित पालन करने से शरीर की शुद्धि होती है तथा दोषों का प्रकोप नही होता है।

दिनचर्या ; रात्रिचर्या केवल निद्रा या नींद नहीं है

रात्रिचर्या केवल निद्रा या नींद नहीं है, बल्कि यह जीवन के तीन उप स्तंभों यानी आहार, निद्रा और ब्रह्मचर्य में शामिल है। वर्तमान परिदृश्य में विशेष रूप से आज की युवा जीवनशैली में रात्रिकालीन दिनचर्या की अनदेखी करते है जिससे स्वास्थ्य पर प्रतिकुल असर होता है, कमलेश ने बताया कि रात्रिचर्या में सबसे महत्वपूर्ण है कि अपने शरीर को शिथिल रखते हुए अच्छी नींद में सोना, सोने के कम से कम 2 घंटे पहले रात्रि का भोजन कर लेना तथा भोजन करने के बाद 100 कदम चलना यह बेहतर स्वास्थ्य के लिए जरूरी है।

दिनचर्या ; ऋतूचर्या में निदिष्ट आहार विहार का सेवन लाभकारी है

इसी तरह ऋतूचर्या में निदिष्ट आहार विहार का सेवन लाभकारी है, जैसे वर्षा ऋतु में जल उबालकर पीना, पुराने चावल का प्रयोग करना,वातनाशक आहार का सेवन करने से वर्षा ऋतु जन्य रोगों से बचा जा सकता है। समय पर सुपाच्य भोजन,समुचित अंतराल एवं मात्रा पेय आवश्यकता के अनुसार दूध, दही, देशी घी फल, एवम सब्जियों का समुचित सेवन ही निरोग रखता है।

कमलेश ने बताया कि जब कोई व्यक्ति असंतुलित या तनावग्रस्त होता है, तो उसे बीमारी होने की संभावना होती है। आयुर्वेद आपके भौतिक शरीर, मन, आत्मा और आपके आस-पास की दुनिया के बीच संतुलन प्रदान करने के लिए जीवनशैली में हस्तक्षेप और प्राकृतिक उपचार, चिकित्सा और उपायों को लागू करने पर ध्यान केंद्रित करता है।

आर्युवेद चिकित्सा के तीन भाग है

आर्युवेद चिकित्सा के तीन भाग है, जड़ी बूटियों द्वारा चिकित्सा दूसरा सर्जरी यानी शल्य चिकित्सा और तीसरा खान पान द्वारा चिकित्सा, फिट और हेल्दी जीवन के लिए जीने के लिए स्वास्थ्यकारी आहार आदतें बहुत महत्व रखती हैं। इसमें खाया गया भोजन, दो खानों के बीच का अन्तराल खाने की चीजों का आपसी मेल व उनकी मात्रा, स्वच्छता तथा खाने के उपयुक्त तरीका शामिल है।

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