Mohammad Azharuddin ED summons : पूर्व भारतीय क्रिकेट कप्तान और कांग्रेस नेता मोहम्मद अज़हरुद्दीन को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में तलब किया है। मामला हैदराबाद क्रिकेट एसोसिएशन (एचसीए) से जुड़ा है, जहां अध्यक्ष रहने के दौरान अजहरुद्दीन पर 20 करोड़ रुपये का गबन करने का आरोप है। इस पैसे का इस्तेमाल राजीव गांधी क्रिकेट स्टेडियम के लिए डीजल जनरेटर, अग्निशमन प्रणाली और कैनोपी खरीदने के लिए किया गया था, लेकिन कथित तौर पर धन का दुरुपयोग किया गया था।
जानिए पूरा मामला
प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत मामला दर्ज किया है। आरोप था कि एचसीए फंड का सही इस्तेमाल नहीं किया गया और इस दौरान कई वित्तीय अनियमितताएं सामने आईं। अज़हरुद्दीन पर एचसीए के अध्यक्ष के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान इन फंडों के दुरुपयोग के लिए जिम्मेदार होने का आरोप है। ईडी ने आरोप लगाया कि इन फंडों का इस्तेमाल कुछ निजी हितों के लिए किया गया और नियमों का उल्लंघन किया गया।
यह पहली बार है जब ईडी ने इस मामले में अज़हरुद्दीन को समन भेजा है। उन्हें एजेंसी के सामने पेश होना होगा और मामले से जुड़े सवालों के जवाब देने होंगे। यह समन ऐसे समय में आया है जब क्रिकेट संघों से संबंधित धन के दुरुपयोग के अधिक मामले भी सामने आ रहे हैं।
अज़हरुद्दीन की प्रतिक्रिया
हालांकि इस मामले पर अभी तक अज़हरुद्दीन की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन कांग्रेस नेता और पूर्व कप्तान के करीबी सूत्रों का कहना है कि वह सभी आरोपों से इनकार करेंगे और जांच में पूरा सहयोग करेंगे।
हैदराबाद क्रिकेट एसोसिएशन की विवादित छवि
हैदराबाद क्रिकेट एसोसिएशन (एचसीए) पहले भी कई विवादों में घिर चुका है। एचसीए पर फंड के दुरुपयोग और क्रिकेट स्टेडियम के रखरखाव में लापरवाही के आरोप लगे हैं। अज़हरुद्दीन के कार्यकाल के दौरान भी एसोसिएशन पर खिलाड़ियों की सुविधाओं और स्टेडियम की व्यवस्था में सुधार करने में विफल रहने का आरोप लगाया गया है। इससे एचसीए की छवि पर और गहरा असर पड़ सकता है।
आगे की कार्रवाई
ईडी द्वारा अज़हरुद्दीन को समन भेजे जाने के बाद अब सभी की निगाहें इस पर हैं कि वह जांच में अपना पक्ष कैसे पेश करते हैं। जांच में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप साबित होने पर अजहरुद्दीन को कानूनी जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा यह मामला कांग्रेस पार्टी पर राजनीतिक असर भी डाल सकता है, क्योंकि अज़हरुद्दीन पार्टी के एक प्रमुख नेता हैं।
अगर आरोप साबित हो गए तो इससे न सिर्फ अज़हरुद्दीन की छवि ख़राब होगी बल्कि भारतीय क्रिकेट की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठेंगे। देखना यह होगा कि प्रवर्तन निदेशालय की जांच में क्या जानकारी सामने आती है। अगर अज़हरुद्दीन बरी हो जाते हैं तो उनकी राजनीतिक प्रतिष्ठा और क्रिकेट करियर बरकरार रहेगा। लेकिन दोषी पाए जाने पर उन्हें गंभीर कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ता है, जिसका उनके करियर पर गहरा असर पड़ सकता है।